Chardham Yatra Registration 2024: घर बैठे चारधाम यात्रा के लिए ऐसे करे ऑनलाइन आवेदन।

Chardham yatra 2024: हिंदू धर्म में तीर्थयात्रा का बहुत महत्व है। इनमें चारधाम यात्रा विशेष महत्वपूर्ण है। चारधाम यात्रा भी दो प्रकार की होती है, बड़ा चारधाम और छोटा चारधाम। बड़े चारधाम हैं बद्रीनाथ (उत्तराखंड), द्वारका (गुजरात), जगन्नाथपुरी (ओडिशा) और रामेश्वरम (तमिलनाडु)। जबकि छोटा चारधाम का मतलब बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री है।
छोटा चारधाम देवभूमि माने जाने वाले उत्तराखंड राज्य में स्थित है। सभी चार पवित्र मंदिर अलग-अलग देवताओं को समर्पित हैं। यमुनोत्री - देवी यमुना, गंगोत्री - देवी गंगा, केदारनाथ - भगवान शिव और बद्रीनाथ - भगवान विष्णु को समर्पित है। हर साल लाखों श्रद्धालु चारधाम की यात्रा पर आते हैं। साथ ही चारधाम यात्रा साल में सिर्फ छह महीने ही की जा सकती है.

चारधाम यात्रा अप्रैल-मई में शुरू होती है और अक्टूबर या नवंबर में समाप्त होती है। कारण यह है कि ये चारों धाम केवल 6 महीने के लिए खुले रहते हैं। हिमालय के मध्य में ऊंचाई पर स्थित सभी चार तीर्थस्थल सर्दियों में बंद रहते हैं।

चारधाम यात्रा का धार्मिक महत्व 


शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक हिंदू को अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार चारधाम की यात्रा अवश्य करनी चाहिए। चारधाम की यात्रा से पापों का नाश होता है। मोक्ष प्राप्ति का द्वार खुलते ही हिंदू धर्म में मोक्ष प्राप्ति को जीवन का अंतिम लक्ष्य माना जाता है। इसके अलावा चारधाम की यात्रा के दौरान काफी देर तक पैदल चलना पड़ता है, कठिन चढ़ाई और भारी मेहनत करनी पड़ती है। जिससे सेहत के साथ-साथ शरीर ऊर्जावान बनता है।

चारधाम एवं तीर्थ यात्रा का क्रम 

चारधाम यात्रा की कुल लंबाई 1607 किमी है। परंपरागत रूप से यह यात्रा पश्चिम से पूर्व की ओर की जाती है। चारधाम यात्रा यमुनोत्री से शुरू होती है। उसके बाद यात्रा गंगोत्री और केदारनाथ होते हुए बद्रीनाथ में समाप्त होती है। यात्रा की शुरुआत लगभग सभी श्रद्धालु हरिद्वार या ऋषिकेश में गंगा स्नान करने के बाद वहीं से करते हैं। महत्वपूर्ण है।

यमुनोत्री उत्तरकाशी जिले में समुद्रतल से 3235 मी० ऊँचाई पर स्थित वह स्थान है जहाँ से यमुना नदी निकलती है। यह देवी यमुना का निवास स्थल भी है। यहाँ पर देवी यमुना का एक मंदिर है। यह एक प्रमुख हिन्दू तीर्थ भी है और चार छोटे धामों में से एक है।

गंगोत्री चारधाम यात्रा का दूसरा शिविर है। जो पवित्र नदी गंगा का उद्गम स्थल है और माँ गंगा को समर्पित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह वह स्थान है जहां गंगा नदी स्वर्ग से अवतरित हुई थी।

केदारनाथ मन्दिर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित हिन्दुओं का प्रसिद्ध मंदिर है। उत्तराखण्ड में हिमालय पर्वत की गोद में केदारनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है। यहाँ की प्रतिकूल जलवायु के कारण यह मन्दिर अप्रैल से नवंबर माह के मध्‍य ही दर्शन के लिए खुलता है। पत्‍थरों से बने कत्यूरी शैली से बने इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण पाण्डवों के पौत्र महाराजा जन्मेजय ने कराया था। यहाँ स्थित स्वयम्भू शिवलिंग अति प्राचीन है। आदि शंकराचार्य ने इस मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया।

बद्रीनाथ अथवा बद्रीनारायण मन्दिर भारतीय राज्य उत्तराखण्ड के चमोली जनपद में अलकनन्दा नदी के तट पर स्थित एक हिन्दू मन्दिर है। यह हिंदू देवता विष्णु को समर्पित मंदिर है और यह स्थान इस धर्म में वर्णित सर्वाधिक पवित्र स्थानों, चार धामों, में से एक यह एक प्राचीन मंदिर है जिसका निर्माण 7वीं-9वीं सदी में होने के प्रमाण मिलते हैं। मन्दिर के नाम पर ही इसके इर्द-गिर्द बसे नगर को भी बद्रीनाथ ही कहा जाता है। भौगोलिक दृष्टि से यह स्थान हिमालय पर्वतमाला के ऊँचे शिखरों के मध्य, गढ़वाल क्षेत्र में, समुद्र तल से 3,133 मीटर (10,279 फ़ीट) की ऊँचाई पर स्थित है। जाड़ों की ऋतु में हिमालयी क्षेत्र की रूक्ष मौसमी दशाओं के कारण मन्दिर वर्ष के छह महीनों (अप्रैल के अंत से लेकर नवम्बर की शुरुआत तक) की सीमित अवधि के लिए ही खुला रहता है। यह भारत के कुछ सबसे व्यस्त तीर्थस्थानों में से एक है; 2012 में यहाँ लगभग 10.6 लाख तीर्थयात्रियों का आगमन दर्ज किया गया था।

चारधाम यात्रा के लिए शारीरिक और मानसिक तैयारी 

  • यात्रा के दौरान पैदल चलने, कठिन चढ़ाई और प्रतिकूल वातावरण का सामना करने आदि के लिए मानसिक रूप से तैयार रहें। 
  • यात्रा पर जाने से पहले कुछ दिन सुबह और शाम पैदल चलना, जॉगिंग और हल्का व्यायाम करें।
  • अगर आप पहले से ही किसी बीमारी से पीड़ित हैं तो डॉक्टर से सलाह लेकर ही यात्रा पर निकलें। 
  • सर्दी, खांसी और बुखार की दवा और एक छोटी प्राथमिक चिकित्सा किट ले जाएं।  
  • ऊनी कपड़े, टॉर्च, छड़ी, छाता, रेनकोट, आरामदायक जूते, आईडी प्रूफ, वाटरप्रूफ बैग, सनस्क्रीन, चश्मा न भूलें।
  • अगर महिलाएं साड़ी की जगह सलवार सूट पहनेंगी तो उन्हें ज्यादा सहजता होगी। यात्रा शुरू करने से पहले आपातकालीन नंबर और यात्रा के मार्ग के बारे में पर्याप्त जानकारी प्राप्त कर लें।

चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण आवश्यक है 

इस साल 10 मई से चारधाम यात्रा शुरू होने जा रही है. यमुनोत्री, गंगोत्री और केदारनाथ मंदिर के कपाट 10 मई को खुलेंगे। जबकि बद्रीनाथ मंदिर के कपाट 12 मई को खोले जाएंगे. चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण अनिवार्य है। चारधाम यात्रा के लिए श्रद्धालु ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से पंजीकरण करा सकते हैं। ऑनलाइन पंजीकरण के लिए तीन विकल्प उपलब्ध हैं।


ऐप्लिकेशन - Tourist Care Uttarakhand

इसके अलावा टोल फ्री नंबर 0135 1364 पर भी यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है. ऑफलाइन पंजीकरण की सुविधा हरिद्वार और ऋषिकेश में उपलब्ध है। 

पंजीकरण के समय यात्रा की तारीख, फोटो, आधार कार्ड, निजी वाहन से जा रहे हैं तो आदि विवरण देना होगा। पंजीकरण के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है।

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